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भारत में Monkeypox Virus का खतरा: लक्षण, उपचार, और महत्वपूर्ण तथ्य

Monkeypox Virus एक दुर्लभ और संक्रामक बीमारी है जो ज्यादातर मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में, इसके मामले अन्य देशों में भी रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। मंकीपॉक्स वायरस का पहला मामला 2022 में भारत में दर्ज किया गया था, और तब से इस वायरस के कई मामले सामने आए हैं। हालांकि संक्रमण का प्रसार अपेक्षाकृत धीमा रहा है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस वायरस पर नजर बनाए हुए हैं और इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं।

2022 में, केरल में एक व्यक्ति में Monkeypox Virus के पहले मामले की पुष्टि हुई थी, जिसने हाल ही में विदेश यात्रा की थी। इसके बाद, कुछ और मामले भी सामने आए थे। 2024 तक, भारत में Monkeypox Virus के कुल मामले 20 से अधिक हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं, जबकि कुछ का इलाज चल रहा है।

सरकार ने हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग, संक्रमित व्यक्तियों की निगरानी, और संपर्क में आए लोगों का पता लगाने जैसे कदम उठाए हैं। इसके अलावा, संदिग्ध मामलों के लिए क्वारंटाइन और आइसोलेशन की व्यवस्था की गई है।

Monkeypox Virus क्या है?

मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। यह वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक (स्मॉलपॉक्स) वायरस भी शामिल है। मंकीपॉक्स वायरस का प्रकोप मुख्य रूप से बंदरों और अन्य छोटे स्तनधारियों में देखा जाता है, लेकिन संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाले मनुष्यों में भी यह फैल सकता है।

 

Monkeypox Virus के लक्षण

Monkeypox  के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं, लेकिन यह आमतौर पर हल्के होते हैं। इसके लक्षण संक्रमण के 5 से 21 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। इसमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं:

  1. बुखार: संक्रमण के शुरुआती दिनों में तेज बुखार हो सकता है।
  2. सिरदर्द: गंभीर सिरदर्द मंकीपॉक्स का एक प्रमुख लक्षण है।
  3. शारीरिक दर्द: मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द महसूस हो सकता है।
  4. स्फीति: लिम्फ नोड्स की सूजन होती है, जो चेचक में नहीं देखी जाती।
  5. थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
  6.  दाने: चेहरे, हाथों, और पैरों पर लाल दाने उभरते हैं, जो बाद में छाले और पपड़ी में बदल जाते हैं।

Monkeypox Virus का प्रसार

मंकीपॉक्स का प्रसार कई तरीकों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. संक्रमित जानवरों के संपर्क से: संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंचने, या उनके रक्त, शारीरिक द्रव्यों, या त्वचा के सीधे संपर्क में आने से वायरस फैल सकता है।
  2. मानव-से-मानव संक्रमण: संक्रमित व्यक्ति के त्वचा के घाव, शारीरिक द्रव्यों, या श्वसन के जरिए निकले बारीक बूंदों के संपर्क में आने से वायरस फैल सकता है। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं (जैसे कपड़े, बिस्तर) के संपर्क में आने से भी संक्रमण हो सकता है।
  3. फूडबॉर्न संक्रमण: वायरस संक्रमित जानवर के मांस के सेवन से भी फैल सकता है, खासकर अगर मांस को पूरी तरह से पकाया न गया हो।

 Monkeypox Virus का उपचार

मंकीपॉक्स का कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। इसमें शामिल हैं:

  1. एंटीवायरल दवाएं: कुछ मामलों में, टीकॉविरिमेट जैसी एंटीवायरल दवाएं दी जा सकती हैं, जो मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ प्रभावी मानी जाती हैं।
  2. सिंप्टोमैटिक उपचार: बुखार, दर्द, और खुजली को कम करने के लिए पेरासिटामोल और एंटीहिस्टामाइन दवाएं दी जा सकती हैं।
  3. हाइड्रेशन और पोषण: मरीज को हाइड्रेटेड रखने और पोषण की कमी को पूरा करने के लिए इंट्रावेनस फ्लूइड्स दिए जा सकते हैं।
  4. घावों का देखभाल: त्वचा पर उभरे घावों को साफ और सूखा रखना आवश्यक है। संक्रमण से बचने के लिए घावों पर एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए।

Monkeypox Virus से बचाव के उपाय

मंकीपॉक्स वायरस से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  1. संक्रमित जानवरों से दूरी बनाए रखें: जंगली जानवरों, विशेषकर बंदरों और छोटे स्तनधारियों से दूरी बनाए रखना चाहिए।
  2. शारीरिक संपर्क से बचें: मंकीपॉक्स के लक्षण वाले व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए।
  3. स्वच्छता का पालन करें: बार-बार हाथ धोना और व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना महत्वपूर्ण है।
  4. टीकाकरण: चेचक का टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान कर सकता है, क्योंकि दोनों वायरस एक ही परिवार से संबंधित हैं।

Monkeypox Virus एक गंभीर, लेकिन नियंत्रणीय बीमारी है। भारत में इसके मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा उठाए गए कदम इस वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में सहायक रहे हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता, जागरूकता, और समय पर उपचार से इस वायरस से बचा जा सकता है। जनता को चाहिए कि वे मंकीपॉक्स से जुड़ी सही जानकारी प्राप्त करें और किसी भी प्रकार की भ्रांतियों से बचें। भविष्य में इस वायरस के खिलाफ और प्रभावी उपाय और टीकों के विकास की संभावना है, जिससे इस बीमारी को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकेगा।

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